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दुनिया की सबसे बुजुर्ग हथनी वत्सला की जिंदगी का कैसा रहा सफर !

  • 27 Jun, 2021
सौ वर्ष की उम्र पार कर चुकी पन्ना टाइगर रिज़र्व की हथिनी वत्सला (फाइल फोटो अरुण सिंह)

दुनिया का सबसे अधिक उम्र का लिन वांग नाम का हाथी ताइवान के चिडय़िाघर में था, जिसकी 86 वर्ष की उम्र में मौत हो चुकी है। इस रिकॉर्ड को भारत की हथिनी ने तोड़ दिया है। जी हां, दुनिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी भारत के मध्य प्रदेश में स्थित पन्ना टाइगर रिजर्व की वत्सला है, जिसकी उम्र 100 वर्ष से अधिक लगभग 105 वर्ष बताई जा रही है। पन्ना टाइगर रिजर्व की यह उम्रदराज हथनी दो बार मौत को चकमा दे चुकी है।

पिछले दो दशक से भी अधिक समय से वत्सला की सेहत पर नजर रखने के साथ-साथ उसे हर मुसीबत से बाहर निकालने वाले पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि वत्सला केरल के नीलांबुर फॉरेस्ट डिवीजन में पली-बढ़ी है। वत्सला ने अपना प्रारंभिक जीवन नीलांबुर वन मण्डल (केरल) में वनोंपज परिवहन में व्यतीत किया। इस हथिनी को 1971 में केरल से होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) लाया गया। उस समय वत्सला की आयु 50 वर्ष से अधिक थी। हथिनी वत्सला को 1993 में होशंगाबाद के बोरी अभ्यारण्य से पन्ना राष्ट्रीय उद्यान लाया गया, तभी से यह यहां की शोभा बढ़ा रही है। डॉ. गुप्ता ने बताया कि वत्सला के साथ महावत रमजान खान एवं चारा कटर मनीराम भी होशंगाबाद से आए थे, जो आज भी पन्ना टाइगर रिजर्व में वत्सला की देखरेख करते हैं।

महावत रमजान खान (60 वर्ष) ने बताया कि मैं वत्सला के साथ पन्ना टाइगर रिजर्व में आया था, तब से यहीं हूँ। वत्सला की अधिक उम्र और सेहत को देखते हुए वर्ष 2003 में उसे रिटायर कर कार्य से मुक्त कर दिया गया था। रिटायरमेंट के बाद से वत्सला के ऊपर कभी भी होदा नहीं कसा गया, न ही किसी कार्य में उपयोग किया गया। मौजूदा समय वत्सला की दोनों आंखों में सफेदी आ जाने के कारण कम दिखता है। चारा कटर हथिनी का डंडा बनकर उसे जंगल घुमाने के लिए ले जाता है।

चारा कटर मनीराम ने बताया कि वह होशंगाबाद का रहने वाला है, वत्सला के साथ ही यहां आया था। हथिनी का पाचन तंत्र कमजोर हो चुका है, इसलिए उसे घास व गन्ना काट-काट कर खिलाता हूँ। मनीराम ने बताया कि हथिनी का सूंड या कान पकड़कर रोज उसे जंगल में भ्रमण कराता हूं। क्योंकि हथिनी बिना सहारे के ज्यादा दूर तक नहीं चल सकती। हाथियों के कुनबे में शामिल छोटे बच्चे भी घूमने टहलने में वत्सला की पूरी मदद करते हैं।

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  • कभी पेन में स्याही भराने को नहीं थे पैसे, शिक्षक बने तो दान किए 40 लाख।कभी पेन में स्याही भराने को नहीं थे पैसे, शिक्षक बने तो दान किए 40 लाख।

    कभी पेन में स्याही भराने को नहीं थे पैसे, शिक्षक बने तो दान किए 40 लाख।

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  • मानसून सीजन में पाई जाने वाली सबसे ताकतवर सब्जीमानसून सीजन में पाई जाने वाली सबसे ताकतवर सब्जी

    मानसून सीजन में पाई जाने वाली सबसे ताकतवर सब्जी

    पन्ना । मानसून के मौसम में पायी जाने वाली पड़ोरा की सब्जी सबसे ताकतवर सब्जी मानी जाती है। इसके बारे में लोगों का कहना है कि यदि इसका सेवन किया जाय तो यह हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद होता है। पड़ोरा की यह फायदेमंद सब्जी औषधीय जड़ी बूटियों और वनोपज से समृद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के जंगलों में बहुतायत से पाई जाती है। इन दिनों पन्ना के सब्जी बाजार में पड़ोरा की बहार है। अत्यधिक पौष्टिक व आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर यह जंगली सब्जी पन्ना के जंगलों में प्राकृतिक रूप से उगती है। इन दिनों पड़ोरा की लतर में फल आये हुये हैं जो बामुश्किल एक पखवाड़ा तक ही मिलेंगे। वन क्षेत्र के आसपास रहने वाले आदिवासी जंगल से पड़ोरा तोड़कर न सिर्फ खाते हैं अपितु बाजार में बेंच भी देते हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय हो जाती है। पन्ना के बाजार में जंगली पड़ोरा 100 से 150 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है।

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    टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। मौजूदा समय यहाँ पर कुल 29 बाघिन हैं, जिनमें 12 बाघिन शावकों को जन्म दे रही हैं। वर्ष 2020 में यहां शावकों सहित बाघों की संख्या 64 थी जो 2021 के अंत तक बढ़कर 78 होने की उम्मीद है। यह वन क्षेत्र पन्ना, छतरपुर व दमोह जिले के 1598 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसका कोर क्षेत्र 576 वर्ग किलोमीटर व बफर क्षेत्र 1022 वर्ग किमी है। पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने पिछले 6 माह की समीक्षा रिपोर्ट में यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि वर्ष 2021 के अंत तक यहाँ बाघों की संख्या बढ़कर 78 हो जायेगी। .

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  • मध्यप्रदेश में पन्ना टाइगर रिजर्व के नर हाथी गणेश की हुई सर्जरीमध्यप्रदेश में पन्ना टाइगर रिजर्व के नर हाथी गणेश की हुई सर्जरी

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    पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में नर हाथी गणेश की शल्यक्रिया आज सफलतापूर्वक संपन्न हुई। विदित हो कि विगत 15 दिनों से गणेश उम्र लगभग 28 वर्ष के अगले बाएं पैर में फाइब्रोसिस होने के कारण एक फुटबॉल के आकार की आकृति निर्मित हो गई थी, जिसके कारण हाथी को अत्यधिक पीड़ा हो रही थी। पैर में सूजन आ जाने के कारण उसे चलने फिरने में दिक्कत हो रही थी।.

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    बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना शहर में हर साल आयोजित होने वाली ऐतिहासिक रथयात्रा समारोह में कोरोना के प्रतिबंधों का साया रहेगा। राजसी ठाटबाट के साथ निकलने वाली भगवान श्री जगन्नाथ स्वामी जी की बारात में बाराती शामिल नहीं हो पायेंगे। रथयात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की उमड़ने वाली भीड़ पर रोक लगाने के लिए जिला दण्डाधिकारी एवं कलेक्टर पन्ना संजय कुमार मिश्रा ने धारा 144 के अंतर्गत नवीन प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किये हैं। ऐसी स्थिति में अब रथयात्रा के दौरान न तो भीड़ जुड़ सकेगी और न ही मंदिरों के आस-पास हाट बाजार, मेला तथा भण्डारा का आयोजन हो सकेगा।

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  • आदिवासी बस्ती, कब्रिस्तान का कुआं और बच्चे !आदिवासी बस्ती, कब्रिस्तान का कुआं और बच्चे !

    आदिवासी बस्ती, कब्रिस्तान का कुआं और बच्चे !

    पन्ना। आमतौर पर मरघट और कब्रिस्तान शहर, गांव व बस्ती के बाहर होते हैं, जहां लोग तभी जाते हैं जब किसी की मौत हो जाती है। लेकिन मध्यप्रदेश में पन्ना शहर के निकट एक ऐसी बस्ती है, जहां की महिलाएं व बच्चे रोजाना कई बार कब्रिस्तान जाते हैं। इसकी खास वजह कब्रिस्तान में स्थित एक प्राचीन कुआं है। जो 60-70 घरों वाली इस बस्ती के लोगों का वर्षों से सहारा बना हुआ है।

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  • पेड़-पौधे, जीव-जंतु, पक्षी और मानव इन सबका घर है यह पृथ्वीपेड़-पौधे, जीव-जंतु, पक्षी और मानव इन सबका घर है यह पृथ्वी

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    यह पृथ्वी हमारे सौरमंडल का सबसे ज्यादा जीवंत और सुंदर ग्रह है। यह खूबसूरत है क्योंकि पृथ्वी में न जाने कितने प्रकार की वनस्पतियां, पेड़-पौधे, जीव-जंतु और पक्षी हैं। यह पृथ्वी इन सब का घर है, इसमें मानव भी शामिल है। लेकिन इस जीवंत और हरे-भरे ग्रह को मानव ने इतने गहरे जख्म दिये हैं कि प्रकृति का पूरा संतुलन ही डांवाडोल हो गया है। हमने अपनी महत्वाकांक्षा और निहित स्वार्थों की पूर्ति हेतु बड़ी बेरहमी के साथ धरती की हरियाली को उजाड़ा है। जिससे न जाने कितने जीव जंतु बेघर होकर विलुप्त हो चुके हैं। हमारी नासमझी पूर्ण बर्ताव का खामियाजा अब हमें ही भोगना पड़ रहा है।

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  • साधारण सा दिखने वाला असाधारण इंसानसाधारण सा दिखने वाला असाधारण इंसान

    साधारण सा दिखने वाला असाधारण इंसान

    कोई साधारण सा दिखने वाला इंसान इतना असाधारण भी हो सकता है, इसकी अनुभूति पद्म श्री बाबूलाल दहिया को देखकर होती है। प्रकृति, पर्यावरण, जैव विविधता और परंपरागत अनाजों की बिसरा दी गई किस्मों को सहेजने और संरक्षित करने वाले दहिया जी अनुभव जनित ज्ञान के अपूर्व भंडार हैं। जैविक खेती की महत्ता बताने वाले दहिया जी ने देसी धान की सवा सौ से भी अधिक किस्मों को संजोया है और जीर्ण - शीर्ण हो चुकी काया के बावजूद भी उसी जुनून और जज्बे के साथ अपने मिशन में जुटे हुए हैं। विंध्य क्षेत्र का यह साधारण सा दिखने वाला कृषक बहुआयामी व्यक्तित्व का धनी है। सृजनात्मकता इनकी सहज और स्वाभाविक जिंदगी बन चुकी है तभी तो आप न सिर्फ परंपरागत जैविक खेती के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं अपितु कृषि ज्ञान विज्ञान और साहित्य को भी समृद्ध कर रहे हैं। इनके लंबे अनुभव जनित ज्ञान का ही यह कमाल है कि देश के ख्याति लब्ध कृषि वैज्ञानिक भी इनके सामने निरुत्तर और आवाक हो जाते हैं। विंध्य ही नहीं समूचे प्रदेश के गौरव बन चुके बाबूलाल दाहिया जी ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के 91वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में अपनी बात को किस तरह प्रभावी ढंग से रखी, आप भी पढ़ें पद्म श्री बाबूलाल दहिया जी की जुबानी -

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  • पन्ना शहर का जीवनदायी धर्मसागर तालाब हुआ जल विहीनपन्ना शहर का जीवनदायी धर्मसागर तालाब हुआ जल विहीन

    पन्ना शहर का जीवनदायी धर्मसागर तालाब हुआ जल विहीन

    राजाशाही जमाने में निर्मित प्राचीन तालाबों के शहर पन्ना में अब बारिश के दिनों में भी पेयजल संकट गंभीर होने लगा है। शहर का जीवनदायी धर्मसागर तालाब जो हमेशा कंचन जल से लवरेज रहता था, वह भी सूखने लगा है। मालुम हो कि धरम सागर के गहरीकरण का कार्य जन सहयोग से 2016 में तत्कालीन कलेक्टर द्वारा कराया गया था। गहरीकरण के दौरान खुदाई में तालाब से हजारों डम्फर चिकनी काली मिट्टी भी निकाली गई.थी। यह काली मिट्टी तालाब के पानी को सीपेज होने से रोकती थी, जिससे गर्मी में भी धर्मसागर तालाब में पानी बना रहता था। लेकिन काली मिट्टी निकल जाने से अब यह जीवनदायी तालाब सूखने लगा है।

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  • उजड़ा हुआ जंगल ढ़ाई साल में बन गया बाघों का पसंदीदा रहवासउजड़ा हुआ जंगल ढ़ाई साल में बन गया बाघों का पसंदीदा रहवास

    उजड़ा हुआ जंगल ढ़ाई साल में बन गया बाघों का पसंदीदा रहवास

    मौजूदा वैश्विक महामारी कोरोना ने समूची दुनिया का ध्यान प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण की ओर आकृष्ट किया है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना आज की महती आवश्यकता बन गई है। ऐसे मौके पर मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व का अकोला बफर क्षेत्र का उजड़ा हुआ जंगल एक मिसाल बन चुका है। जो महज ढ़ाई साल में समुचित देखरेख और संरक्षण से न सिर्फ हरा-भरा हुआ है अपितु यह जंगल अब बाघों और वन्य प्राणियों का पसंदीदा रहवास बन गया है।

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  • जंगल के शातिर शिकारी अब कर रहे वन्य प्राणियों का संरक्षणजंगल के शातिर शिकारी अब कर रहे वन्य प्राणियों का संरक्षण

    जंगल के शातिर शिकारी अब कर रहे वन्य प्राणियों का संरक्षण

    डेढ़ दशक पूर्व तक जंगलों के आसपास डेरा डालकर शिकार करना जिनकी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा था, वे शातिर शिकारी कभी जंगल और वन्य प्राणियों का संरक्षण करेंगे इसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। लेकिन यह अविश्वसनीय सी लगने वाली बात मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में साकार हो रही है। शिकार के लिए मध्य प्रदेश सहित महाराष्ट्र और राजस्थान के जंगलों में घूमने वाले इन पारधियों का पहले कोई स्थाई ठिकाना नहीं था, लेकिन वन महकमे की पहल से अब उन्हें बसाकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया जा रहा है।

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  • हाइबे, विशालकाय बांध, हीरे की खदान और शेरनी !हाइबे, विशालकाय बांध, हीरे की खदान और शेरनी !

    हाइबे, विशालकाय बांध, हीरे की खदान और शेरनी !

    जब हम अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति हेतु जंगल काटते हैं और बड़े पैमाने पर खनिज संपदा का दोहन कर पर्यावरण को तहस-नहस करते हैं, तो इसे नाम देते हैं विकास। इस कथित विकास से जब वन्य प्राणियों का जीवन संकट में पड़ता है और वह अपने को बचाने के लिए हमलावर होते हैं, तो इसे क्रूरता कहकर उन्हें ही खत्म कर दिया जाता है। बिना यह जाने और समझे कि जंगल और वन्यजीवों का वजूद हमारे खुद के अस्तित्व को कायम रखने के लिए बेहद जरूरी है।

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