पन्ना शहर का जीवनदायी धर्मसागर तालाब हुआ जल विहीन

राजाशाही जमाने में निर्मित प्राचीन तालाबों के शहर पन्ना में अब बारिश के दिनों में भी पेयजल संकट गंभीर होने लगा है। शहर का जीवनदायी धर्मसागर तालाब जो हमेशा कंचन जल से लवरेज रहता था, वह भी सूखने लगा है। मालुम हो कि धरम सागर के गहरीकरण का कार्य जन सहयोग से 2016 में तत्कालीन कलेक्टर द्वारा कराया गया था। गहरीकरण के दौरान खुदाई में तालाब से हजारों डम्फर चिकनी काली मिट्टी भी निकाली गई.थी। यह काली मिट्टी तालाब के पानी को सीपेज होने से रोकती थी, जिससे गर्मी में भी धर्मसागर तालाब में पानी बना रहता था। लेकिन काली मिट्टी निकल जाने से अब यह जीवनदायी तालाब सूखने लगा है।

उल्लेखनीय है कि आज भी पन्ना शहर के लोग पेयजल के लिए धर्मसागर, लोकपाल सागर व निरपत सागर तालाब के पानी पर ही आश्रित हैं। आजादी के बीते 74 सालों में यहां के जनप्रतिनिधियों ने शहर की पेयजल समस्या का स्थाई समाधान खोजने में कोई रुचि नहीं ली, नतीजतन यही तीन प्राचीन तालाब पन्ना के जीवन का आधार बने हुए हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि इन प्राचीन जलाशयों की सुरक्षा, संरक्षण व सौंदर्यीकरण की सिर्फ चर्चाएं होती रहीं, इस दिशा में ठोस पहल व प्रयास नहीं हुए। फलस्वरुप इन जीवनदायी तालाबों का वजूद ही अब संकट में पड़ गया है। हालात यहाँ तक पहुँच गये हैं की बारिश के मौसम में भी लोगों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है।

अधर में लटका किलकिला फीडर का कार्य

शहर के धर्मसागर व लोकपाल सागर तालाब को बारिश के पानी से लबालब भरने के लिए किलकिला फीडर नहर का पूर्व में निर्माण कराया गया था। जिससे दोनों तालाब अल्प वर्षा होने पर भी भर जाते थे। लेकिन अनदेखी व लापरवाही के कारण यह नहर पूरी तरह अतिक्रमण की चपेट में आ गई, जिससे किलकिला फीडर से तालाबों को भरने की व्यवस्था बाधित हो गई। नगरवासियों की मांग पर शासन द्वारा किलकिला फीडर नहर को पुन: चालू करने के लिए 6 करोड रुपए की राशि स्वीकृत की गई थी। फलस्वरुप बीते साल किलकिला फीडर का कार्य शुरू हुआ लेकिन कुछ माह बाद ही इसका काम जो रुका तो अभी तक चालू नहीं हो सका है। जनजीवन से जुड़े इस अति महत्वपूर्ण कार्य के प्रति जिम्मेदारों द्वारा जिस तरह की लापरवाही की गई है, उसी से जाहिर होता है कि आम जनता की मूलभूत आवश्यकताओं के प्रति वे कितने सजग और संवेदनशील हैं। जिम्मेदार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की इस अनदेखी का खामियाजा शहरवासियों को भोगना पड़ रहा है। प्रशासन का जैसा रवैया है उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इस साल की बारिश में भी तालाब खाली रह जाएंगे। क्योंकि राशि स्वीकृत होने के बावजूद किलकिला फीडर का काम अधर में लटका हुआ है।

तालाब सूखने पर पानी बचाने की आई सुध

धर्मसागर तालाब के सूखने व अन्य तालाबों में भी बहुत कम पानी बचने पर नगरपालिका प्रशासन को अब पानी बचाने की सुध आई है। मुख्य नगरपालिका अधिकारी द्वारा प्रेस नोट जारी कर नगर के समस्त जल उपभोक्ताओं को सूचित किया गया है कि इस वर्ष पर्याप्त वर्षा न होने तथा जल प्रदाय के तालाबों में पानी की कमी को देखते हुये 02 जुलाई 2021 से नगर में एक दिन छोड़कर जल प्रदाय किया जायेगा। उन्होंने जल उपभोक्ताओं से अनुरोध किया है कि सभी उपभोक्ता अपने-अपने नलों मे टोटियां लगवा लें। निरीक्षण के दौरान टोटियां न होने अथवा पानी दुरूपयोग पाया जाता है तो संबंधित के विरूद्ध नियमानुसार वैधानिक कार्यवाही की जाकर नल विच्छेदित कर दिया जायेगा।

कलेक्टर ने कहा वर्षा के अभाव में उत्पन्न हो सकती है पेयजल की समस्या

जिले में वर्षा की स्थिति को देखते हुए कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा ने कहा है कि वर्षा के अभाव में पेयजल की समस्या उत्पन्न हो सकती है। कलेक्टर श्री मिश्रा ने सूखा राहत संबंधी वर्चुअल बैठक केा संबोधित करते हुये कहा कि नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की समस्या लोगों को नहीं होनी चाहिए। इसके लिये पूरी तैयारी संबंधित विभाग कर लें। जुलाई के महीने में जिले के प्रशासनिक मुखिया के ऐसे निर्देशों से आखिर क्या जाहिर होता है। अभी तक सम्बंधित विभाग के अधिकारी आख़िरकार क्या करते रहे ?

बैठक में बताया गया कि वर्तमान में पेयजल की समस्या नहीं है, कही भी जल स्त्रोतों का जल स्तर नीचे जाने पेयजल योजनाओं में गडबडी आने पर सुधार की कार्यवाही तुरन्त की जाती है। मजे की बात है, जब समस्या ही नहीं है तो फिर नगर में एक दिन छोड़ कर जल प्रदाय करने का निर्णय क्यों लेना पड़ा ?

कलेक्टर श्री मिश्रा यह भी कह रहे हैं कि वर्षा के अभाव में पेयजल की समस्या उत्पन्न हो सकती है। जिन क्षेत्रों मे भी पेयजल की समस्या आने की संभावना है उन क्षेत्रों में सार्वजनिक एवं निजी जल स्त्रोतों का चिन्हांकन अभी से कर लिया जाये जिससे जरूरत पड़ने पर निजी क्षेत्र को जल स्त्रोतों का अधिग्रहण कर पेयजल प्रदाय की व्यवस्था सुनिश्चित की जा सकें। आवश्यकता पड़ने पर पेयजल टेंकरों के माध्यम से उपलब्ध कराने की व्यवस्था करें।

कलेक्टर ने कृषि से जुडे विभागों के अधिकारियों केा निर्देश दिये कि किसानों को वर्षा के अभाव में क्या करना है इसकी समझाइस दें। जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है वहॉ कौन सी फसल ली जा सकती है इसकी भी जानकारी किसानों को दी जाये। उन्होने कार्यपालन यंत्री जल संसाधन को निर्देश दिये कि जितनी भी सिंचाई योजनायें है, उनके जल भराव की जानकारी एवं अगामी समय में कब तक जल उपलब्ध रहेगा इसकी जानकारी दें। ऐसी सिंचाई योजनायें जिनसे लोग निस्तारी पानी का उपयोग करते है उन योजनाओं से वर्तमान में पशुओं एवं निस्तार के लिये पानी संरक्षित रखें।

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